आखिर क्यों बढ़ जाती है टमाटर की कीमतें?

इस साल अत्यधिक गर्मी और बाढ़ के कारण भारत में टमाटर की कीमत 400% तक बढ़ गई है। नौबत यहाँ तक आ गई है की टमाटर की रखवाली करना पड रही है । एक किलो टमाटर की कीमतें एक लीटर पेट्रोल से अधिक हो गई है । समाजवादी पार्टी के कुछ आंदोलनकारी तो टमाटर के ठेले पर बॉडीगार्ड लगा कर प्रदर्शन कर रहे है ।

जमीनी हकीकत भी कुछ ऐसी ही है , किसानों को भी अपने टमाटर के फसल की रखवाली करने का इंतजाम करना पड़ रहा है । और कई जगह से टमाटर की चोरी और लूट-पाट की भी खबरे आ रही है । इन सभी वजहों से टमाटर की किमते कई हफ्तों से अखबारों में बनी हुई है ।

इस पोस्ट के जरिए हम टमाटर की इस अविश्वसनीय बढ़ी हुई कीमतों के वजहों की जानकारी लेंगे। और जानेंगे की कबतक यह कीमतें नीचे आएंगी ।

टमाटर की कीमतें क्यों बढ़ जाती है?

tomatoes in mandi
टमाटर मंडी पिपलगाँव, नासिक

टमाटर की कीमतों में वृद्धि में कई कारण होते है , वैसे तो किसी एक कारण से अचानक इतनी ज्यादा वृद्धि नहीं होती लेकिन दो-तीन कारण मिलकर ग्राहकों को अच्छी तरह से परेशान कर सकते है ।

1. दो महीने पहले गिरी हुई कीमतें

टमाटर की फसल को बाजार में आने में दो महीने का वक्त लगता है । दो महीने पहले टमाटर के कीमतें किसानों को रुला रही थी , कीमतें इतनी कम थी की किसान सड़कों पर टमाटर फेक कर जा रहे थे । इस वह से ज्यादातर किसानों ने गिरी हुई कीमतों के बाद टमाटर की फसल नहीं लगाई और इस वजह से दो महीने बाद यानि अभी टमाटर मार्केट से गायब हो गई ।

2. फसल बर्बाद करने वाली गर्मी

टमाटर के फसल के लियें 28 डिग्री तापमान चाहिए होता है । लेकिन अप्रेल-मई के महीनों में भारत के ज्यादातर इलाकों में काफी गर्मी पड़ रही थी । इस गर्मी के कारण फसल में फ़ाउल और फलों की कमी आती है । कुल मिलाकर किसान का उत्पादन घट कर आधे से भी कम रह जाता है । यही वजह है के मार्केट में चाहियें उससे कई हजार गुना कम टमाटर बिकने के लिए आ रहा है ।

3. टमाटर के फसल पर बीमारियाँ

इस साल आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के फसलों पर वायरस का दुष्प्रभाव देखा गया है । यह वायरस फसल के विकास को बाधित कर देता है और उत्पादन में 90% तक कमी ला सकता है । खबरों में है के कई किसानों की फ़सले ऐसे तरह-तरह के वायरस और किट के वजह से बर्बाद हो गई है ।

4. आपूर्ति और मांग असंतुलन

टमाटर के उत्पादन और आपूर्ति में उतार-चढ़ाव से बाजार में कमी हो सकती है, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं। प्रतिकूल मौसम की स्थिति, जैसे अत्यधिक वर्षा या सूखा, फसल की पैदावार को प्रभावित कर सकती है और आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकती है। आपूर्ति कम होने के वक्त अगर एक्सपर्ट भी चल हर हो तो यह भी कुछ हद तक किमते बढा देता है ।

टमाटर की बढ़ी हुई कीमतों का ग्राहकों पर प्रभाव

टमाटर की बढ़ी हुई कीमतें घरेलू बजट पर दबाव डाल सकती हैं, खासकर कम आय वाले परिवारों के लिए जो इस बहुमुखी सब्जी पर बहुत अधिक निर्भर हैं। उपभोक्ताओं को टमाटर की खपत में कटौती करनी पड़ सकती है या विकल्प ढूंढना पड़ सकता है, जिससे उनके पोषण संबंधी सेवन पर असर पड़ेगा।

टमाटर की बढ़ती कीमतें समग्र मुद्रास्फीति में योगदान कर सकती हैं, क्योंकि टमाटर का उपयोग कई खाद्य उत्पादों में सामग्री के रूप में किया जाता है। इससे अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ सकता है।

टमाटर की ऊंची कीमतें उपभोक्ताओं के भोजन विकल्पों को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे उन व्यंजनों की ओर रुझान बढ़ सकता है जिनमें कम या बिल्कुल टमाटर की आवश्यकता नहीं होती है। इससे टमाटर आधारित उत्पादों की मांग प्रभावित हो सकती है और खाद्य उद्योग प्रभावित हो सकता है।

टमाटर की बढ़ी हुई कीमतों का किसानों पर प्रभाव

टमाटर की ऊंची कीमतें हमेशा किसानों के लिए बढ़े हुए मुनाफे में तब्दील नहीं होती हैं। बीज, उर्वरक और श्रम जैसी बढ़ती इनपुट लागत उनके मार्जिन को खा सकती है। इसके अतिरिक्त, किसानों को उचित बाज़ार तक पहुंचने और कीमतों पर बातचीत करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

टमाटर की कीमतों में उतार-चढ़ाव से किसानों के लिए अपने उत्पादन की योजना बनाना और सोच-समझकर निर्णय लेना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। उन्हें अपनी फसलों की मांग और लाभप्रदता के संबंध में अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है।

किसान अक्सर अपनी उपज बेचने के लिए बिचौलियों या व्यापारियों पर निर्भर रहते हैं। ये बिचौलिए बढ़ी हुई दरों पर बिक्री करते हुए किसानों को कम कीमत की पेशकश करके स्थिति का फायदा उठा सकते हैं, जिससे किसानों के वित्तीय संघर्ष और बढ़ जाएंगे।

निष्कर्ष:

टमाटर की कीमतों में हालिया उछाल को कई कारकों के संयोजन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें आपूर्ति और मांग असंतुलन, परिवहन लागत, मौसमी बदलाव और बाजार की अटकलें शामिल हैं। जहां ग्राहकों को अपने बजट और भोजन विकल्पों पर बढ़ी हुई कीमतों के प्रभाव का सामना करना पड़ता है, वहीं किसान लाभ मार्जिन और बाजार की अनिश्चितताओं से जूझते हैं। सरकार सहित हितधारकों के लिए कीमतों को स्थिर करने, किसानों के लिए बाजार पहुंच में सुधार और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के उपायों को लागू करके इन मुद्दों का समाधान करना महत्वपूर्ण है।

लेखक के बारे में ,
लेखक हिंदी भाषा मे टेक्नोलॉजी,ऑटोमोटिव, बिजनेस, प्रोडक्ट रिव्यू, इतिहास, जीवन समस्या और बहुत सारे विषयों मे रचनात्मक सामग्री के निर्माता और प्रकाशक हैं। लेखक अपने ज्ञान द्वारा वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करना पसंद करते है। लेखक को Facebook और Twitter पर 👍🏼फॉलो करे ।
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