Moral Stories को हिंदी में नैतिक कहानियाँ कहते है। नैतिक कहानियाँ हमेशा अंत मे एक सीख देती है । नैतिक सीख एक संदेश होता है जो किसी कहानी या घटना से सबक के तौर पर सीखा जाता है। नैतिक कहानियों से पढ़ने वाला खुद अपने लिए उपयोगी सीख को समझ लेता है । अधिकतम हिंदी मोरल स्टोरी के अंत मे स्पष्ट रूप से एक नैतिक सीख बताई गई होती है ।
Moral Stories वास्तविक जीवन मे हमारे लिए सबक होती है । यह समाज मे रहने वाले लोगों के खास कर के बच्चों के जीवन मे नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देती है । नैतिक कहानियाँ हमे बचपन से अच्छे बुरे का फरक बताती है । ऐसी कहानियाँ हमे सबक देती है की “बुरे कामो का बुरा अंजाम होता है और अच्छे काम का अच्छा”। इस तरह वह हमे अच्छा व्यक्ति बनने के लिए प्रेरित करती है ।
मोरल स्टोरी कहाँ काम आ सकती है ?
- हिंदी मोरल स्टोरी को बच्चे खूब पसंद करते है और इस से सीख (moral of the story) हासिल करते है ।
- बच्चों के सोते वक्त उनके माता-पिता नैतिक कहानियां सुना सकते है ।
- स्कूल मे “Moral Stories in Hindi” स्पर्धा के दौरान बच्चे इन्हे सुना सकते है ।
- नैतिकता का पाठ पढ़ाने के लिए छोटी-छोटी हिंदी नैतिक कहानियाँ बड़े काम की होती है ।
- अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करने के लिए ।
छोटी नैतिक कहानी | Small Moral Stories
यहाँ आप को small moral stories in hindi में, बच्चों और वयस्कों को ऐसी कहानियाँ मिल सकती हैं जो सुनने वाले को प्रेरित और शिक्षित कर सकती हैं। आप इसे स्वयं या अपने बच्चों को पढ़ा सकते हैं और जीवन की नैतिकता को समझने में उनकी मदद कर सकते हैं। हमारी वर्तमान पीढ़ी एक बेहतर इंसान बनने के लिए ऐसी कहानियों और उसके नैतिक मूल्यों का उपयोग अपने जीवन में कर सकती है।
नैतिक कहानी : खलीफा और बेसब्र बच्चे की
???? यही कहानी औडियो मे सुने
हजरत उमर रजी.अ. मुसलमानों के दूसरे खलीफा थे । उनकी तारीफ महात्मा गांधी तक ने की है । उनकी ढेर सारी मोरल स्टोरीस है लेकिन उनकी moral story in hindi ज्यादा प्रख्यात नहीं है ।
वह एक बार अपने घोड़े पर मस्जिद गए । और अपने घोड़े को बांधने के लिए जगह ढूंढने लगे । तभी उन्हे वहा एक बच्चा दिखाई दिया ।
उन्होंने उस बच्चे को बुलाया और उसे थोड़ी देर मे वापिस आने तक घोडा पकड़ने के लिए कहा ।
घोड़े के ऊपर एक खूबसूरत चमड़े की ज़ीन लगी हुई थी । मस्जिद मे अंदर जाते हुए उन्होंने दिल मे यह इरादा किया की वापिस आनेपर वह ज़ीन उस बच्चे को तोहफे मे दे देंगे ।
लेकिन, थोड़ी देर बाद जब वह वापिस बाहर आए तो देखा की घोडा खड़ा हुआ है और बच्चा घोड़े की ज़ीन लेकर वहा से चला गया ।
फिर वह आगे जाते हुए बाजार से गुजरे तो देखा की वही ज़ीन बाजार मे बिकने के लिए लगी हुई है । पता किया तो मालूम पड़ा वह बच्चा उसे बेच गया है । हज़रत उमर रजी.अ. ने सोचा की इंसान कितना बी सब्र होता है । मुकद्दर की रोजी वह बेसब्री के वजह से हराम कर देता है ।
वह बच्चा थोड़ा सब्र करता तो वह ज़ीन उसे जायज तरीके से मिल जाती लेकिन उसने सब्र नहीं किया और गलत काम करने उसने उसे प्राप्त किया । इसी तरह दुनिया मे हमे हमारे मुकद्दर की चीज़े मिलने ही वाली होती है बस हमे सब्र के साथ उसके लिए कोशिश करनी होती है । हमे झटपट कमाने और हासिल करने के चक्कर मे गलत रास्ता नहीं अपनाना चाहिए ।
कहानी की शिक्षा:
बेसब्री के वजह से इंसान अक्सर गलत काम कर बैठता है ।
नैतिक कहानी : इब्न सीना का मेमनों पर प्रयोग की
इब्न सीना एक प्रसिद्ध मुस्लिम वैज्ञानिक थे। उनके कई hindi moral stories से हम जीवन उपयोगी सबक हासिल कर सकते है । उन्होंने कई प्रयोग किए और कई किताबे लिखी जो आज तक हमे काही ना काही काम या रही है ।
इब्न सिना ने एक बार दो बकरी के मेमनों को अलग-अलग पिंजरों में रखा। मेमने एक ही उम्र और एक ही वजन के थे । उन्होंने उन्हे एक ही तरह का भोजन खिलाया । उन्हे पालने की सभी शर्तें समान थीं।
एक शर्त के अलावा, उन्होंने एक भेड़िये को तीसरे पिंजरे में डाल दिया। लेकिन केवल एक मेमना भेड़िये को देख सकता था । दूसरा मेमना भेड़िये को नहीं देख सकता था ।
कुछ महीनों बाद, भेड़िये को देखने वाला मेमना कर्कश आवाज वाला, बेचैन और बीमार हो गया । उसका वजन भी पहले वाले से कम हो गया । कुछ दिनों मे वह मेमना मर गया । लेकिन दूसरा मेमना जिसने भेड़िये को नहीं देखा स्वस्थ रहा।
हालांकि भेड़िये ने अपने बगल के मेमने के साथ कुछ नहीं किया, लेकिन मेमने के डर और तनाव ने उसे समय से पहले ही मार डाला। जबकि दूसरा मेमना जिसने भेड़िये को नहीं देखा, शांत था और स्वस्थ वजन के साथ अच्छी तरह से विकसित हुआ।
इस प्रयोग में इब्न सीना ने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को प्रदर्शित किया।
कहानी की शिक्षा:
अनावश्यक चिंताओं से खुद को परेशान न करें। अल्लाह पर भरोसा करना सीखें और अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
नैतिक कहानी : ताकतवर लक्कड़हारा
एक बार की बात है एक बहुत ताकतवर लकड़हारे ने एक लकड़ी के व्यापारी से नौकरी मांगी। और उस व्यापारी ने उसे नौकरी पर रख लिया । उस काम के लिए उसे वेतन अच्छा मिलने वाला था । इसके लिए उस लकड़ी तोड़ने वाले ने यह निश्चय किया की वह अपना सर्व श्रेष्ट प्रदर्शन करेगा ।
उसके मालिक ने उसे एक कुल्हाड़ी दी और उसे वह जगह दिखाई जहाँ उसे काम करना था। पहले दिन लकड़हारे ने 18 पेड़ तोड़कर लाए।
उसके मालिक ने खुश होकर कहा “बधाई हो, ऐसे ही काम करते रहो “।
मालिक के शब्दों के लिए बहुत प्रेरित होकर लकड़हारा अगले दिन और अधिक मेहनत करने लगा । लेकिन वह केवल 15 पेड़ ही तोड़कर ला सका। तीसरे दिन भी उसने और अधिक कोशिश और मेहनत की, लेकिन वह केवल 10 पेड़ ही ला सका।
इसी तरह, दिन-ब-दिन वह कम पेड़ तोड़कर ला रहा था।
लक्कड़ हारा मायूस और परेशान हुआ । उसने मालिक से माफी मांगते हुए कहा “शायद, मैं अपनी ताकत खो रहा होगा। रोज कोशिश के बाद भी मई कम पेड़ तोड़कर ला रहा हु । मुझे समझ नहीं या रहा में क्या करू। “
उसके मालिक ने मुसकुराते हुए पूँछा : “पिछली बार आपने अपनी कुल्हाड़ी कब तेज की थी?”
लक्कड़ हारा अब समझ गया और बोला : “कुल्हाड़ी तेज करने की तो मैने सोचा ही नहीं । कुल्हाड़ी को तेज करने का मेरे पास तो समय ही नहीं था। मैं तो पेड़ों को काटने की कोशिश में बहुत व्यस्त था ।”
कहानी की शिक्षा:
जीवन के व्यस्तता मे हमें अपने मनोबल और ईमान को वक्त निकाल कर मजबूत करते रहना चाहिए ।
नैतिक कहानी : खोई हुई अंगूठी
यह एक युवक की hindi moral story है । जिसमे एक बार एक युवक ने अपनी अंगूठी खो दी। वह चमकदार रौशनी देने वाले स्ट्रीट लाइट के नीचे उसे खोजने गया। वहाँ से गुजरने वाले कुछ लोगों ने उसे बेताबी से अंगूठी खोजते हुए देखा। वे लोग उसकी मदद के लिए आए।
लेकिन किसी को भी अंगूठी नहीं मिली । तब लोगों ने उस युवक से पूछा कि क्या उसे यकीन है कि उसने इस जगह पर अंगूठी गिरा दी है। उस युवक ने अपने घर की और इशारा करते हुआ कहा, “नहीं, मैंने इसे वहाँ खो दिया” ।
तब लोग गुस्सा हुए और उन्हों ने पूछा: “तो फिर तुम इसे यहाँ क्यों ढूंढ रहे हो?”
युवक ने चतुर दिखने की कोशिश करते हुए कहा, “क्योंकि जहां अंगूठी खोई है वहाँ अंधेरा है , और जहां मई ढूंढ रहा हु वह रौशनी ही रौशनी है “।
सभी ने सोचा कि वह युवक मूर्ख है और उससे कहा कि वह जाकर उस अंगूठी की तलाश करे जहां उसने वास्तव में उसे खो दिया था।
कहानी की शिक्षा:
सफलता को वहाँ ढूँड़े जहा उसके मिलने का अंदेशा है, वहाँ नहीं जहा वो है ही नहीं ।
नैतिक कहानी : बूढ़ा और उसका बेटा
एक बेटा अपने बूढ़े पिता को शाम के खाने के लिए एक रेस्तरां में ले गया। पिता ने बहुत बूढ़े और कमजोर होने के कारण भोजन करते समय अपनी कमीज और पतलून पर खाना गिरा दिया। अन्य भोजन करने वालों ने उसे घृणा से देखा, जबकि उसका बेटा शांत बैठा हुआ था ।
खाना खाने के बाद, उसका बेटा, जो बिल्कुल भी शर्मिंदा नहीं था, चुपचाप उसे वाशरूम में ले गया, खाने के कणों को पोंछा, दाग-धब्बों को हटाया, उसके बालों में कंघी की और उसके चश्मे को मजबूती से फिट किया। जब वे बाहर निकले तो पूरा रेस्टोरेंट उन्हें खामोशी से देख रहा था।
देखने वालों मे कोई समझ ही नहीं पा रहा था कि कोई इस तरह सार्वजनिक रूप से खुद को कैसे शर्मिंदा कर सकता है। बेटे ने बिल का निपटारा किया और अपने पिता के साथ बाहर जाने लगा।
उसी समय, भोजन करने वालों में से एक दूसरे बूढ़े ने उस बेटे को पुकारा और उससे पूछा, “क्या आपको नहीं लगता कि आपने कुछ पीछे छोड़ दिया है?”।
बेटे ने जवाब दिया, “नहीं सर, मैंने पीछे कुछ नहीं छोड़ा है “।
बूढ़े ने उत्तर दिया, “हाँ, तुमने छोड़ा है , तुमने हर बेटे के लिए एक सबक और हर बूढ़े होते पिता के लिए आशा छोड़ी है”।
पूरा के पूरा रेस्टोरेंट खामोशी मे डूब गया।
कहानी की शिक्षा:
वृद्ध वयस्कों की देखभाल करना सबसे बड़े सम्मानों में से एक है। और हर एक बेटे का कर्तव्य है ।
नैतिक कहानी : अब्दुल कादिर जिलानी की सच्चाई
अब्दुल कादिर जिलानी 11वीं शताब्दी सीई, फारस में पैदा हुए एक प्रख्यात इस्लामी विद्वान थे। अब्दुल कादिर जिलानी की माँ बेहत संस्कारी औरत थी , उन्होंने अपने बेटे की बेहत उम्दा तर्बियत की थी । हम उनकी कई सारी hindi moral stories जानते है लेकिन बिना उनका नाम जाने । कई जगह तो उनके नाम के जगह किसी और का नाम लीक कर कहानिया लिखी जाती है ।
अठारह साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां से अपनी शिक्षा के लिए बगदाद जाने की अनुमति मांगी। बगदाद तब राजनीतिक, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र था, और विश्व शिक्षा का केंद्र था।
यह सुनकर उसकी माँ बहुत खुश हुई। और उसने अब्दुल कादिर के लिए चालीस सोने के सिक्के रखे थे। जैसे यात्रा शुरू करने का वक्त आया, उसने सिक्कों को सुरक्षित रखने के लिए अब्दुल कादिर के कोट के अंदर अस्तर में सिल कर छुपा दिया।
अपने बेटे को विदा करते वक्त माँ ने बेटे को नसीहत की “जब भी आप बोलें, सच बोलें। याद रखें कि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कहा था, ‘सच्चाई धार्मिकता की ओर ले जाती है और धार्मिकता स्वर्ग की ओर ले जाती है। .’ और कुरान हमें बताता है “हे तुम जो विश्वास करते हो! ईश्वर के प्रति अपने कर्तव्य से सावधान रहें, और सच्चे के साथ रहें।” (कुरान 9:119)
अब्दुल कादिर बगदाद के लिए एक कारवा के साथ रवाना हुए । लेकिन बगदाद के रास्ते में लुटेरों के एक दल ने कारवां पर हमला किया। जैसे ही ठग यात्रियों से सारा कीमती सामान निकालने लगे, लुटेरों में से एक ने अब्दुल कादिर के सामान की तलाशी शुरू कर दी। लेकिन उसे कुछ नहीं मिला ।
तो लुटेरे ने अब्दुल कादिर से पूछा, “क्या तुम्हारे पास कुछ कीमती है?”
अब्दुल कादिर ने शांति से उत्तर दिया, “हाँ।”
यह सुनते ही लुटेरे ने काफी तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला।
डाकू अब्दुल कादिर को अपने सरदार के पास ले गया और कहा, “यह लड़का कहता है कि उसके पास कीमती सामान है लेकिन मुझे उस पर कुछ नहीं मिला।”
लुटेरों के नेता ने अब्दुल कादिर से पूछा, “क्या आप कोई कीमती सामान छुपा रहे हैं?”
फिर अब्दुल कादिर ने उत्तर दिया, “हाँ।”
लुटेरे ने पूछा, “क्या छुपा रहे हो?”
अब्दुल कादिर ने उत्तर दिया, “चालीस सोने के सिक्के।”
आगे खोज करने पर डाकू को अब्दुल कादिर के कोट की परत में छिपे सिक्कों का पता चला।
तमाम अफरा-तफरी और दहशत से त्रस्त यात्रियों के बीच अब्दुल कादिर का चकाचौंध भरा व्यवहार और जो क़ीमती सामान वह छिपा रहा था, उसे स्वीकार कर सच बोलना लुटेरे के लिए हैरान करने वाला था।
लुटेरा अब इस लड़के के बारे में और जानने के लिए उत्सुक था जो डरता नहीं था और सच बोलने पर जोर देता था।
डाकू ने पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है और तुम कहाँ से आए हो?”
उसे जवाब मिला, “मेरा नाम अब्दुल कादिर है और मैं फारस के जिलान प्रांत से आता हूं।”
“कहाँ जा रहे हैं?”
“मैं बगदाद जा रहा हूँ।”
“आप बगदाद में क्या करने की योजना बना रहे हैं?”
“मैं ज्ञान प्राप्त करने के लिए सबसे बड़े विद्वानों के साथ अध्ययन करना चाहता हूं।”
“तुमने सच क्यों नहीं छुपाया और अपने सोने के सिक्कों को हमसे सुरक्षित नहीं रखा?”
अब्दुल कादिर ने अपनी मां द्वारा दी गई सलाह और पैगंबर और कुरान के निर्देश हमेशा सच बोलने के बारे में बताया।
यह सुनकर लुटेरा पछतावे के साथ हार गया और अपने साथियों से कहा, “यह छोटा लड़का निडर है और ईश्वर में अटूट विश्वास रखता है। इसमें हम जैसे लोगों के खिलाफ खड़े होने का साहस है। वास्तव में उसकी माँ ने उसे बुद्धिमानी से सिखाया है और उसने मुसलमान होने का एक सच्चा उदाहरण है।”
शर्म से सिर थपथपाते हुए उसके चेहरे से आंसू छलकने लगे। उसने अब्दुल कादिर को गले लगाया और माफ़ी मांगी।
अब्दुल कादिर ने जवाब दिया, “आपको केवल खुदा से प्रार्थना करने और क्षमा और मार्गदर्शन मांगने की जरूरत है। भगवान की इच्छा है कि आप अपने तरीकों में संशोधन करेंगे।”
यह सुनकर लुटेरों के नेता ने अपने गुर्गों से कहा कि वह सब कुछ लौटा दे जो यात्रियों से लिया गया था। फिर वह चिल्लाया, “हे भगवान इस जवान लड़के ने हमें सीधा रास्ता दिखाया है। कृपया हमें क्षमा करें और हमें सही मार्ग पर ले जाएं।”
इस तरह एक युवा लड़के के लिए एक माँ द्वारा सोची गई सच्चाई के एक साधारण नैतिक मूल्य ने लुटेरों के एक समूह को उनके जीवन को बदलने के लिए प्रभावित किया।
आगे चल कर अब्दुल कादिर जिलानी इस्लामी न्यायशास्त्र के एक महान विद्वान और शिक्षक बन गए।
कहानी की शिक्षा:
जो सच्चे होते है वह महान व्यक्ति बन जाते है , हमेशा सच बोले । माँ बच्चों की सबसे अच्छी तर्बियत कर सकती है ।
नैतिक कहानी : राजा, मंत्री और तीन बैग
एक बार एक राजा ने अपने तीन सबसे महत्वपूर्ण मंत्रियों को बुलाया और उनमें से प्रत्येक को एक बैग दिया। फिर उसने उनसे कहा कि चारों ओर जाओ और फलों से थैलों को भर दो। इससे उनके मंत्रियों की ईमानदारी की परीक्षा होगी।
पहले मंत्री ने राजा के आदेश को गंभीरता से लिया और सबसे अच्छे फलों को इकट्ठा करने के लिए कड़ी मेहनत की और अपना बैग भर दिया।
दूसरे मंत्री ने राजा के आदेश को हल्के में लिया और अपने बैग को अच्छे और सड़े हुए फलों के मिश्रण से भर दिया।
तीसरे मंत्री ने दोनों मंत्रियों के बिल्कुल विपरीत किया। उसने बैग को सिर्फ सूखे पत्तों और गंदगी से भर दिया। उसका इरादा राजा को केवल यह आभास देकर मूर्ख बनाना था कि उसने बैग भरने का काम कर दिया है। उसके बैग में एक भी फल नहीं था।
तीनों मंत्री अपना बैग लेकर राजा के दरबार में वापस आ गए। राजा ने यह पूछे बिना कि उन्होंने क्या एकत्र किया है, राजा ने आदेश दिया कि प्रत्येक मंत्री को तीन महीने के लिए एक अलग जेल में भेजा जाना चाहिए। वह वे वही खाना खाएंगे जो उन्होंने अपने बैग में एकत्र किया हुआ है ।
पहला मंत्री खुश था क्योंकि उसके पास रहने के लिए बहुत अच्छी गुणवत्ता वाला भोजन था। वह बिल्कुल भी चिंतित नहीं था।
दूसरा मंत्री चिंतित था क्योंकि उसका आधा भोजन सड़ा हुआ था और वह अपने कारावास की पूरी अवधि तक नहीं टिकेगा।
तीसरा मंत्री घबरा गया क्योंकि उसके पास बिल्कुल भी खाना नहीं था। वह राजा की आज्ञा का पालन करने में लापरवाह और आलसी था।
कहानी की शिक्षा:
कोई भी काम ईमानदारी से करे । आलस और लापरवाही हमारा बड़ा दुश्मन है ।
नैतिक कहानी : आलू, अंडे और कॉफी बीन्स
एक बार एक बेटी ने अपने पिता से शिकायत की कि उसका जीवन दयनीय है और उसे नहीं पता कि वह इसे कैसे बनाने जा रही है। वह हर समय लड़ते-लड़ते थक चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे एक समस्या हल हो गई, दूसरी जल्द ही आ गई।
उसका पिता, एक पेशेवर रसोइया था । वह उसे रसोई घर में ले गया । उसने तीन घड़ों को पानी से भर दिया और प्रत्येक को तेज आग पर रख दिया। एक बार जब तीन बर्तन उबलने लगे, तो उसने एक बर्तन में आलू, दूसरे बर्तन में अंडे और तीसरे बर्तन में कॉफी बीन्स को पीस लिया। फिर उसने उन्हें अपनी बेटी से एक शब्द कहे बिना बैठने और उबालने दिया।
बेटी कराह रही थी और बेसब्री से इंतजार कर रही थी, सोच रही थी कि वह क्या कर रहा है। बीस मिनट के बाद उसने बर्नर बंद कर दिए। उसने आलू को बर्तन से निकाल कर एक प्याले में रख दिया। उसने अंडे निकाले और उन्हें एक कटोरे में रख दिया। फिर उसने कॉफी को बाहर निकाला और एक कप में रख दिया।
उसकी ओर मुड़कर उसने पूछा। “तुम क्या देख रही हो?” “आलू, अंडे और कॉफी,” उसने झट से जवाब दिया।
“करीब देखो”, उसने कहा, “और आलू को छुओ।” उसने किया और नोट किया कि वे नरम थे।
फिर उसने उसे एक अंडा लेने और उसे तोड़ने के लिए कहा। खोल को हटाने के बाद, उसने कठोर उबले अंडे को देखा।
अंत में, उसने उसे कॉफी पीने के लिए कहा। इसकी समृद्ध सुगंध ने उसके चेहरे पर मुस्कान ला दी।
“पिताजी, इसका क्या मतलब है?” उसने पूछा।
उन्होंने समझाया कि आलू, अंडे और कॉफी बीन्स प्रत्येक को एक ही प्रतिकूलता का सामना करना पड़ा – उबलते पानी। हालांकि, सभी ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी।
आलू मजबूत था, लेकिन उबलते पानी में यह नरम और कमजोर हो गया। अंडा नाजुक था, पतला बाहरी आवरण इसके तरल आंतरिक भाग की रक्षा करता था । लेकिन जब इसे उबलते पानी में डाला गया तो अंडे के अंदर का भाग सख्त हो गया। हालांकि, ग्राउंड कॉफी बीन्स अद्वितीय थे। उबलते पानी के संपर्क में आने के बाद, उन्होंने पानी बदल दिया और कुछ नया बनाया।
कहानी की शिक्षा:
हालात और परेशानिया हमे अंदर से और मजबूत बनाती है । और हम और कुछ अच्छे बन जाते है ।
नैतिक कहानी : बहुत जल्दी जज करना
एक ट्रेन चल रही थी । तभी ट्रेन की खिड़की से बाहर देख 24 साल का लड़का चिल्लाया… “पिताजी, देखो पेड़ हमारे पीछे जा रहे हैं!”
उसके पिता वही बैठे मुस्कुरा रहे थे । लेकिन पास मे ही बैठे एक जोड़े ने 24 साल के बच्चे के बचकाने व्यवहार को दया से देखा ।
फिर वह लड़का अचानक से चिल्लाया… “पिताजी, देखो बादल हमारे साथ दौड़ रहे हैं!”
दंपति चुप नहीं बैठ सके और बूढ़े व्यक्ति से कहा … “आप अपने बेटे को अच्छे डॉक्टर के पास क्यों नहीं ले जाते?”
लड़के का पिता मुस्कुराय और बोला.. “हम अभी अभी अस्पताल से ही आ रहे हैं, मेरा बेटा जन्म से अंधा था और उसे आज ही उसकी आंखें मिलीं।”
कहानी की शिक्षा:
बहुत जल्द किसी को जज ना करे ।
नैतिक कहानी : द डर्टी लॉन्ड्री
एक विवाहित जोड़ा एक नए जगह रहने के लिए जाता है। अगली सुबह जब वे नाश्ता कर रहे होते है , तो पत्नी ने अपने पड़ोसी के धोकर लटके हुए कपड़ों को खिड़की से देखा । वह बोली देखो जी ” पड़ोसी के कपड़े धुले हुए है फिर भी मैले है , शायद पड़ोसी को ठीक से धोना नहीं आता या फिर उसे एक अच्छे साबुन की जरूरत है । “
उसके पति ने देखा, लेकिन वह चुप रहा। लेकिन हर बार जब उसका पड़ोसी धुले हुए कपड़े सुखाने के लिए लटका देता, तो उसकी पत्नी फिर से वही टिप्पणी करती।
ऐसे ही लगभग एक महीना बीत जाता है । एक दिन पत्नी देखती है के पड़ोसी के धुले हुए कपड़े बेहत साफ सुथरे दिख रहे है । हैरान होकर उसने अपने पति से कहा: “देखो, उसने ठीक से धोना सीख लिया है। मुझे आश्चर्य है कि उसे यह किसने सिखाया।”
पति ने कहा, “उसने कुछ नहीं सीखा, बल्कि मैंने आज सुबह जल्दी उठकर हमारी खिड़कियां साफ कीं जिस से तुम बाहर देखती थी “।
अगर हमारी खिड़कियां गंदी हैं तो क्या हम दूसरों को भी गंदे देखेंगे।
कहानी की शिक्षा:
हम दूसरों में जो देखते हैं वह वास्तव में हमारे भीतर का प्रतिबिंब है!
Moral of the Stories in Hindi
इस तरह की छोटी नैतिक कहानियाँ (small hindi moral stories) हमे नैतिक पाठ सिखाती है । ऊपर दिए गए सच्चे 10 हिंदी मोरल स्टोरी हमे कई मायनों मे अच्छा इंसान बनाती है । इन कहानियों के द्वारा हमे इतिहास के कुछ महान लोगों के बारे मे भी जानने की ख्वाहिश पैदा होती है । नीचे हम एक सारांश मे देखेंगे की इन कहानियों मे हमने क्या सीखा ,
- हमे सब्र से काम लेना चाहिए और गलत रास्ते कमाना नहीं चाहिए ।
- अनावश्यक चिंताओ से हमे दूर रहना चाहिए ।
- हमे हमारी आत्मा, ईमान और मनोबल मजबूत करने के लिए वक्त निकालना चाहिए ।
- सफलता तभी मिलती है जब उसे सही जगह ढूंडा जाए ।
- वृद्ध वयस्को की देखभाल करना हमारा कर्तव्य है ।
- हमेशा सच बोलना हमे महान बना देता है ।
- कोई भी काम ईमानदारी और लगन के साथ करना चाहिए ।
- मुश्किल हालत हमे अंदर से मजबूत और खूबसूरत बनाते है ।
- हमे किसी को बहुत जल्द जज नहीं करना चाहिए ।
- हमे दूसरे वैसे ही दिखते है जैसे हम अंदर से है ।