कागजी नींबू की पहचान और पूरी जानकारी

दुनिया में बेशुमार फल और पौधे है। हर एक फल और पौधे के अलग अलग प्रजातियां भी होती है। इसी तरह नींबू की भी कई प्रजातियां है। इसमें कागजी नींबू एक उल्लेखनीय प्रजाति है। कागजी नींबू (Key Lime) की अपनी एक अलग पहचान है। इसे Citrus Aurantifolia के नामसे भी जाना जाता है। नींबू के बारे में हर कोई जानता है। नींबू एक साइट्रस फल होता है जो विटामिन सी के भरपूर मात्रा के लिए पहचाना जाता है। यह विटामिन सी कई बीमारियों से हमें दूर रखने और हमारे अच्छे सेहत के लिए जरुरी होता है। नींबू स्वादिष्ट खानो का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसी तरह इसके बेशुमार सेहत के सम्बंधित फायदे होते है। इसके अनगिनत फायदों के वजह से इसे अक्सर घरेलु डायट में शामिल किया जाता है।

कागजी नींबू की पहचान | Kagaji Nimbu Ki Pehchan

Kagji Nimbu 1
कागजी नींबू ( विकिमिडिया)

कागजी नींबू की पहचान आप कुछ इस तरह कर सकते है, कागजी नींबू हरे रंग का और हल्का सख्त आवरण वाला होता है । बाकी आम नींबू की तरह ही दिखाई देता है । सूंघने पर आप इसकी सख्त सुगंध को महसूस कर सकते है । दिखने मे यह गोल और सामान्य आकार से थोड़े बड़े होते है । फल के आयु के हिसाब से इसका आकार देठ और टोंक कि और से लंबा-चपटा होता है । कागजी नींबू का पेड़ छोटा, घनी और अनियमित शाखाओं वाला होता है । और इसकी टहनियों पर तेज काटे होते है । इसके फल गुच्छे मे आते है । और दो से ज्यादा फल वाला गुच्छा खूबसूरत दिखाई देता है । कागजी नींबू के एक फल का वजन 30 से 40 ग्राम तक होता है । इस नींबू में 42 से 50 प्रतिशत तक रस निकलता है। पकने के बाद यह चमकते पीले दिखाई देते है ।

कागजी नींबू का पौधा | Kagaji Nimbu Ka Paudha

इसका पौधा सदाबहार और लगभग 5 मीटर लंबा होता है । यानि एक साधारण पुरुष बड़ी आसानी से इसके सारे फल बिना किसी सीढ़ी के तोड़ सकता है । कागजी नींबू के पौधे की टहनीया छोटी और कड़ी भरपूर तादाद मे होती है। जब इसके टहनियों पर पूर्ण रूप से पत्ते या जाते है तब इसका दरख्त बहत आकर्षित दिखाई देता है । टहनियों पर बाकी लिम्बुओ की तरह ही काटे होते है जो इसके लिए प्राकृतिक बचाव का काम देते है । इसके पत्तों का आकार अण्डाकार या आयताकार-अंडाकार होता है । पत्तों का नाप 4-8 x 2-5 सेमी का होता है । इसके कलमी पौधे को जल्द ही फल लग जाते है । कुछ लोग तो इसके छोटे आकार की वजह से घरमे भी लगा देते है ।

कागजी नींबू का पौधा price

इसे आप आसानी से किसी नर्सरी वाले से खरीद सकते है । बस आप को इसकी पहचान होनी चाहिए । 10 माह के कागजी नींबू के पौधे की कीमत (Price ) लगभग 100-150 रुपए प्रति नग होती है । इसे आप इंडिया मार्ट जैसे B2B पोर्टल से भी खरीद सकते है । अगर आप आप खुद इसे छोटे से बड़ा करना चाहते है तो इसके बीज आप को दुकान से या अमेजॉन जैसे साइट्स पर ऑनलाइन मिल जाएंगे । एक गमले मे इसके बीज या पौधा लगाकर आप इसे आँगन या घर के अंदर रख सकते है । पौधा 10 माह का होने तक आप को इसका अच्छी तरह खयाल रखना होगा । पौधा ज्यादा बड़ा होने पर कहीपर अच्छी जगह देख कर गड्ढा खोदकर उसे स्थाई तौल पर वहा लगा दे।

कागजी नींबू के फायदे | Kagaji Nimbu Ke Fayde

कागजी नींबू आम नींबू की तरह ही फ़ायदों से भरपूर है । कागजी नींबू का रस एव सरबत पीने से शरीर में ताजगी एवं स्फूर्ति का भाव पैदा होता है। इसका अचार खाने मे स्वादिष्ट लगता है । विटामिन सी के भरपूर मात्रा की वजह से यह इस्तेमाल करने वाले के अंदर रोगप्रतिकार क्षमता बढ़ाता है । इसी तरह त्वचा संबंधित बीमारिया और पाचन संबंधित परेशानियों मे कागजी नींबू फायदेमंद है। इसका इस्तेमाल स्क्वैश, कोर्डियल और अम्ल इत्यादि बनाने के साथ-साथ प्रतिदिन के खाने में भी होता है। गर्मी के दिनों मे मेहमान नवाजी करने मे यह बेहतरीन विकल्प है । दिनभर उपवास या रोजा रखने के बाड शाम मे इसका जलजीरा बनाके दिनभर की प्यास मिनटों मे बुझा सकते है ।

कागजी नींबू की खेती | Kagaji Nimbu Ki Kheti

भारत मे किसान इसकी पैदावार कर अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है । चूंकि इसकी फसल साल मे दो बार निकलती है यह उन्नत किसानों के बीच काफी प्रसिद्ध है । इसके पौधे बहुत ज्यादा बड़े नहीं होते तो फसल काटने मे आसानी होती है । इसके पौधे आसानी से मिल जाते है और ठंडे – उष्ण कटिबंधीय मौसम मे यह आ जाते है । गर्मियों मे इसका भाव प्रति किलो 100 रुपये तक पहुच जाता है । इसतरह कई किसानों ने एक एकड़ मे 6 लाख तक मुनाफा कमाया है । इसकी किसानी करने मे शुरू मे थोड़ा खर्च आता जरूर है लेकिन बाद मे ज्यादा खर्च नहीं आता । इसे मार्केट मे बेचने मे भी ज्यादा दिक्कत नहीं आती । नींबू का पेड़ ३ से ४ साल में फल देता है ।

माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति उत्तरी भारत और म्यांमार के आसपास के हिस्सों या उत्तरी मलेशिया में हुई है। इसकी की खेती अब पूरे उष्णकटिबंधीय और गर्म उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। भारत मे इसकी खेती की जाती है । यह साल में दो बार फल देता है , इसलिए भारतीय किसानों का आकर्षण इसके प्रति बढ़ा है । 150 से 180 दिनों मे इसका फल तय्यार हो जाता है । एक पौधा औसतन 1000 से 1200 फल प्रति वर्ष उत्पादन देता है ।

इसके और भी उप प्रकार होते है जिनमे NRCC-7 ,NRCC-8, अभिनव पूसा उदित, विक्रम, कागजी कला, प्रमालिनी, चक्रधर, और साई सर्बती, इत्यादि. शामिल है । खेतिके लिए जब भी इसके पौधे खरीदे तो इस बात का ध्यान रहे की विश्वसनीय एव सरकारी नर्सरी से ही इसको खरीदे । इसे 8 X 12 फीट के दूरी पर लगाना चाहिए । सिचाई , उर्वरक और किट नाशकाओ का सही प्रयोग कर इस से अच्छा उत्पन्न हासिल कर सकते है । इसके खेती के बारे मे जानकारी कुछ वेब साइट्स पर आसानी से मिल जाएंगी अन्यथा अपने इलाके के कृषि अधिकारी के दफ्तर से जानकारी हासिल करे ।

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