खलीफा उमर रजी.अ.की कहानियां

खलीफा हजरत उमर रजी.अ. जिन्हें उमर इब्न अल-खत्ताब के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम के दूसरे खलीफा और पैगंबर मुहम्मद के साथी थे। वह 634 से 644 तक अपने शासन के दौरान अपने ज्ञान, न्याय और निष्पक्षता के लिए जाने जाते थे। उनकी कई सारी मर्मस्पर्शी कहानियाँ उर्दू में मौजूद है । लेकिन हिंदी में किंचित ही उनकी कहानियाँ पढ़ने मिलती है ।

इस लिए इस पोस्ट द्वारा उनके जीवनी में से कुछ चुनिंदा सत्य कहानियां नीचे उपलब्ध करा रहा हूँ । आशा करता हूँ के आप को जरूर पसंद आएंगी ।

hazrat umar caligraphy
Hazrat Umar R.A Caligraphic Name Image from Wikipedia

कहानी पढ़ते वक्त यह ध्यान दे की, असल कहानियाँ लंबी और बहुतसे घटनाओ के मिलाप के साथ होती है । लेकिन यहाँ पर मैंने उन कहानियों को शॉर्ट कर अपने मूल भाव सारांश के अनुसार लिखा है । इसलिए कृपया इस कहानियों को अपने तक ही सीमित रखे और घटना के बारीखीयों पर बहस करने के बजाय कहानी से मिलने वाले सीख और प्रेरणा पर ध्यान दे ।

इसे लिखने में हुए कमी-कोताही को अल्लाह माफ करे । आमीन

हजरत उमर रजी.अ. के रात में गश्त और रोते बच्चों की कहानी

हजरत उमर रजी.अ. के खिलाफत के दौरान अकाल के दिनों में एक बहुत ही मार्मिक घटना घटी, जो शासकों और सत्तासीन प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक सबक छोड़ जाती है। जब अकाल का वर्ष था. उमर रजी.अ. ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की कि सभी लोगों तक पर्याप्त राहत पहुंचे और शहर में कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए।

एक रात हमेशा की तरह उमर रजी.अ. अपने गश्ती दौरे पर निकले। उसके साथ उसका गुलाम असलम भी था। वह एक सड़क से दूसरी सड़क पर टहल रहे थे और सब कुछ शांत था और लोग सो रहे थे। उमर रजी.अ. ने मन में सोचा, “अल्लाह का शुक्र है, इस शहर में कोई भी ऐसा नहीं है जिसे अकाल ने पीड़ित किया हो।”

फिर जैसे ही वह एक कोने से मुड़े तो उसकी नजर एक झोपड़ी पर पड़ी जहां रोशनी जल रही थी और वहाँ से बच्चों के रोने की आवाज आ रही थी। उमर रजी.अ. उस झोपड़ी में गये। उन्होंने देखा कि घर मे एक औरत चूल्हे पर कुछ पका रही है और बच्चे रो रहे हैं।  वे बच्चें के चुप होने की प्रतीक्षा करते रहे। जब बहुत देर तक उनके रोने की आवाज बंद नहीं हुई तो उन्होंने आंगन में झाँककर देखा।

वहाँ एक स्त्री चूल्हे हांडी में चम्मचा चला रही थी। उसके पास ही बैठे तीन बच्चे रो रहे थे। उन्होंने पूछा। ये बच्चे क्यों रो रहे है? औरत ने उत्तर दिया कि। भूखे हैं इसलिए रो रहे हैं। तो खाना बनाने में इतनी देर क्यों कर दी जो कुछ पका रही हो, जल्दी से इन्हें खाने को दे दो।

उस औरत ने कहा, अन्दर झांककर हांडी में देखो। खलीफा उमर रजी.अ. ने हांडी में झाककर देखा तो दंग रह गये। उसमें सिर्फ पानी के अलावा कुछ नहीं था। वह औरत अपने दुपट्टे के पल्लू से अपनी आँसुओं से भरी आँखों को पोंछ रहीं थी। वह बोली, इन्हें बहला रही हूँ रोते-रोते यूं ही थककर सो जाएगें। घर में कुछ भी खाने को नहीं है फिर भला क्या पकाऊँ?

दुख की इस कहानी को सुनकर, उमर रजी.अ. को दोषी महसूस हुआ। उसने सोचा था कि उसके द्वारा की गई व्यवस्था के कारण शहर में किसी को कष्ट नहीं हुआ और यहां एक परिवार भूख से मर रहा है। उमर ने महिला से कहा कि वह उसके परिवार के लिए तुरंत राहत की व्यवस्था करेंगे.

उमर रजी.अ. बैतुल माल गए । वहां उन्होंने आवश्यक सामान एक बैग में रखा और बैग को कुटिया में ले गए। उनके गुलाम ने जिद की कि वह बैग उठाएंगा, लेकिन उमर ने कहा कि वह अपना बोझ खुद उठाएंगे। उमर रजी.अ. ने महिला को प्रावधानों का बैग सौंप दिया। उमर रजी.अ. चूल्हे के पास बैठे और महिला को खाना पकाने में मदद की। जब भोजन तैयार हो गया तो बच्चों को जगाया गया और स्वादिष्ट भोजन परोसा गया। जैसे ही बच्चों ने भरपेट खाना खाया और संतुष्ट हो गए, उनके चेहरे पर खुशी की मुस्कान थी। बेसहारा बच्चों को मुस्कुराता देख उमर रजी.अ. को भी खुशी हुई।

उमर रजी.अ. ने महिला से पूछा कि क्या उन्हे देखभाल करने वाला कोई नहीं है। उसने कहा कि बच्चों के पिता की मृत्यु हो चुकी है और सहारा देने वाला कोई नहीं है। घर में जो कुछ भी थोड़ा-बहुत था वह धीरे-धीरे ख़त्म हो चुका था और वे पिछले तीन दिनों से भूखे रह रहे थे।

उमर रजी.अ. ने महिला से पूछा कि उसने अपनी परेशानी खलीफा को क्यों नहीं बताई। महिला ने कहा कि अपनी गरीबी के बावजूद उसमें कुछ आत्म-सम्मान की भावना है और वह जाकर खलीफा से कोई अनुग्रह नहीं मांग सकती। उन्होंने आगे कहा कि यह सुनिश्चित करना खलीफा का काम था कि उसके प्रभार में कोई भी भूखा नहीं रह रहा हो।

और कुछ वक्त बाद जब महिला को एहसास हुआ कि जो व्यक्ति उसकी मदद के लिए आया था वह स्वयं खलीफा थे, तो उसे संतुष्टि हुई कि खलीफा ने अपनी कठिन जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाया है।

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दूध पीते बच्चों के वजीफे की कहानी

एक रात उमर रजी.अ. हमेशा की तरह अपने दौरे पर जा रहे थे तभी उन्हें एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। ‘उमर रजी.अ. कुछ देर तक घर के बाहर खड़े रहे, लेकिन जब बच्चे ने रोना बंद नहीं किया तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया और उसे घर के अंदर दाखिल हुए । उन्होंने देखा कि एक महिला ने एक छोटे बच्चे को गोद में ले रखा है और बच्चा रोता जा रहा है। उमर रजी.अ. ने महिला की ओर मुड़कर कहा, “तुम कैसी माँ हो? बच्चा रो रहा है, और तुम उसे अपना दूध नहीं पिलाती!”

महिला ने कहा, “जाओ और उमर रजी.अ. से पूछो कि वह किस प्रकार का खलीफा है! उन्होंने आदेश दिया है कि एक बच्चे को तब तक वजीफा नहीं मिलेगा जब तक कि वह दूध न छुड़ा ले। अपने बच्चे के लिए वजीफा सुरक्षित करने के लिए हम उसे छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं।” ।”

उमर रजी.अ. ने महिला से कहा, “अपने बच्चे को अपना दूध पिलाओ, और निश्चिंत रहो कि तुम्हें अपने बच्चे के लिए वजीफा मिलेगा, भले ही उसका दूध छुड़ाया न गया हो।”

अगले दिन फज्र सलाह में, उमर रजी.अ. इतना रोये कि सहाबा ने कहा कि हम समझ नहीं पा रहे हैं कि वह क्या पढ़ रहे है और समाप्त होने के बाद उन्होंने आदेश पारित किया कि बच्चों को उनकी जन्म तिथि से वजीफा देने की अनुमति दी जाएगी।

खलीफा हजरत उमर रजी.अ. की कहानी – निष्पक्षता

उमर रजी.अ. से न्याय मांगने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे । एक बार एक मिस्री (मिस्र के लोगों में से एक आदमी) उमर इब्न अल-खत्ताब रजी.अ. के पास आया और कहा, “हे मोमीनो के नेता, मैं अन्याय से आपकी शरण चाहता हूं !”

उमर रजी.अ. ने उत्तर दिया, “आपने ऐसे इंसान की पनाह चाही है जो आप को दे सकता है ।” उस आदमी ने कहा, “मैंने अम्र इब्न अल-अस रजी.अ. (मिस्र के गवर्नर) के बेटे के साथ प्रतिस्पर्धा (रेस) की और मैं जीत गया, लेकिन उसने मुझे कोड़े से मारना शुरू कर दिया और कहा: मैं प्रतिष्ठित का बेटा हूं!”

इस पर, उमर रजी.अ. ने अम्र रजी.अ. को पत्र लिखकर अपने बेटे के साथ उनके पास आने का आदेश दिया।

वह अपने बेटे के साथ आये और उमर रजी.अ. ने कहा, “वह मिस्री कहाँ है?” उन्होंने उसे कोड़ा दिया और अम्र रजी.अ. के बेटे को कोडे लगाने के लिए कहा। इस दौरान उमर रजी.अ. कह रहे थे, “जाहिलों के बेटे को मारो!” उस आदमी ने उसे मारना शुरू कर दिया। उस आदमी ने बड़े मजे के साथ कोड़े लगाए और वह तब तक नहीं रुका जब तक उसे कहा नहीं गया कि वह रुक जाए।

तब उमर रजी.अ. ने मिस्री से कहा, “इसे अम्र रजी.अ. की ओर निर्देशित करो।” मिस्री ने कहा, “हे ईमानवालों के सरदार, मुझे उसके बेटे ने ही मुझे मारा था और मैंने अपना हिसाब बराबर कर लिया है।” ‘

उमर रजी.अ. ने अम्र रजी.अ. से कहा, “आपने लोगों को कब से गुलाम बना लिया, हालांकि वे अपनी मां से आजादी में पैदा हुए थे?” अम्र ने कहा, “हे ईमानवालों के नेता, मैं इसके बारे में नहीं जानता था और उसने मुझे नहीं बताया।”

उमर रजी.अ. के लिए, अम्र रजी.अ. की स्थिति कोई मायने नहीं रखती थी। उनके लिए इसका कोई महत्व नहीं था कि अम्र उन्हीके गवर्नर थे और उनके पुराने दोस्त थे जबकि मिस्री एक “सामान्य नागरिक” था।

कोई भी शासक न्याय स्थापित करके शासन को नुकसान होने का जोखिम उठाने के बजाय एक मजबूत गवर्नर के साथ अपनी मित्रता बनाए रखना चाहेगा। लेकिन उमर रजी.अ. जैसा कोई शासक नहीं था, उन्होंने अपनी उपलब्धियों, अपनी सत्ता की स्थिति, अम्र रजी.अ. के साथ अपने संबंधों को पीछे छोड़ दिया और दूर देश के एक आम व्यक्ति को निष्पक्ष न्याय दिया। ऐसी थी उनकी निष्पक्षता. यही उनका न्याय था।

लेखक के बारे में ,
लेखक हिंदी भाषा मे टेक्नोलॉजी,ऑटोमोटिव, बिजनेस, प्रोडक्ट रिव्यू, इतिहास, जीवन समस्या और बहुत सारे विषयों मे रचनात्मक सामग्री के निर्माता और प्रकाशक हैं। लेखक अपने ज्ञान द्वारा वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करना पसंद करते है। लेखक को Facebook और Twitter पर 👍🏼फॉलो करे ।
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