यह पोस्ट “bharat ke software industry ki history” पढ़ने के बाद आप को निम्न लिखित विषय संबंध मे उपयोगी जानकारी हासिल होगी । यह उपयुक्त जानकारी आप के जीवन मे बेहतरी ला सकती है ।
👉🏻भारत मे सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री का इतिहास
👉🏻भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी
👉🏻भारत के सॉफ्टवेयर पार्क
कुछ दशक पहले भारत को पश्चिमी देश कोई खास तवज्जह नहीं देते थे, उसे सिर्फ खेतीबाड़ी करने वाला एक बड़ा सा मुल्क समझा जाता था, जिसके कन्धोपर बढ़ते हुए जनसँख्या का बोझ है।
भारत मे सॉफ्टवेयर कैसे बनने लगे ?
राजीव गाँधी का सपना : भूतपूर्व प्रधान मंत्री राजीव गाँधी जी ने युवाओ के हाथो में कंप्यूटर पहुचाने का सपना देखा था। चूँकि भारत का बहुसंख्य तबका नौजवानों का है तो जरुरी है के इन नौजवानों का इस्तेमाल देश के भले के लिए हो.. और देश का भला भी इन नौजवानों के भला करने में ही है।
मुश्किल दौर : और वह दौर भारत ने देखा जब इसरो के राकेट बैलगाड़ी और साइकलपर लादकर प्रक्षेपण स्थल पर ले जाया जाते थे. इसी दौरान तकनिकी पढाई का ढांचा देश में मजबूत करने का सिसिला शुरू हुआ. और कई लोगो ने शिक्षण संस्थाओ को कमाई का विकल्प समजा , और वह लोग इस में कूद पड़े. मुंबई, हैदराबाद , पूना और दिल्ली में तकनिकी पढाई देने वाले कॉलेज खुले , लेकिन मंजिल अब भी दूर थी ।

भारत मे सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री का इतिहास
जैसे जैसे इस देश की अर्थ व्यवस्था पटरीपर आने लगी लोगो के पास इंजिनीरिंग जैसे तकनिकी पढाई करने की कुव्वत आते गयी। और सन २००० से २००५ के दौरान बहुत सारे इंजीनियरिंग कॉलेज खुले और कंप्यूटर एव सॉफ्टवेर के अनगिनत कोर्स शुरू हो गए। जिसे देखो वह इंजीनियरिंग करना चाहता था इनमे अक्सर तबका कंप्यूटर सॉफ्टवेर इंजिनियर बन गया।
सन १९६७ मे भारत मे पहली कामयाब सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कन्सल्टन्सी कंपनी (TCS) की स्थापना मुंबई मे हुई । आगे चलकर TCS ने १९७७ मे बुररोघस् के साथ मिलकर सॉफ्टवेयर का निर्यात शुरू किया । इसी तरह आगे इनफ़ोसिस , विप्रो जैसी कंपनिया अपने पैर जमाने लागी और बड़े पैमाने पर बाहर देश सॉफ्टवेर निर्यात करने लग गई।
सस्ते में बनने लग गए सॉफ्टवेर : चूँकि पढ़े लिखे सॉफ्टवेर इंजिनियर की तादाद बहुत ज्यादा हो गयी और इसी वजह से वह बहुत कम वेतन पर काम करने लग गए , दुनिया के विकसित देशो के मुकाबले में भारत में कम लागत में अच्छे सॉफ्टवेर बनने लगे। सस्ते में काम होता है इस लिए तक़रीबन सभी विकसित देश अपने काम और सॉफ्टवेर भारत से आउटसोर्स करने लगे।
इसी दौरान कई ऐसे नौजवान जो खुद कुछ करना चाहते थे , उन्होंने अपनी खुदकी सॉफ्टवेर कंपनिया खोल दी। ऐसी कई कंपनिया आज कामयाबियो के आसमान को छु रही है । इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की क्रांति सारे दुनियामे आम हो गयी। और हर जगह सॉफ्टवेर और सुविधा की सख्त जरूरत पेश आने लग गयी, जिसे पश्चिमी देश पूरी नहीं कर सकते . इसी जरुरत को पूरा करते हुए आज भारत सॉफ्टवेर जगत का बड़ा खिलाडी बनकर उभरा है ।
कोरोना काल मे पूरी दुनिया मानो थम सी गई थी । इसवक्त हमारे मदद के लिए IT सेक्टर ने बहुत कुछ किया । हम घर से काम और पढ़ाई करने लग गए । और इस तरह आईटी सेवाओ के डिमांड मे बाड़ सी या गई । पूरी दुनिया खस्ता हाल हो रही थी लेकिन सॉफ्टवेयर क्षेत्र दिन दुगना और रात चौ गुना तरक्की कर रहा था ।
भारतीय केंद्रीय बैंक के अनुसार, ‘‘भारत का सॉफ्टवेयर सेवाओं का निर्यात (वाणिज्यिक मौजूदगी के जरिये निर्यात को छोड़कर) 2020-21 में सालाना आधार पर चार प्रतिशत बढ़कर 133.7 अरब डॉलर रहा । आरबीआई के अनुसार भारतीय कंपनियों की संबद्ध विदेशी इकाइयों समेत कुल सॉफ्टवेयर सेवाओं का निर्यात 2020-21 में 2.1% बढ़कर 148.3 अरब डॉलर रहा।
भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी
फिलहाल TCS यानि टाटा कन्सल्टन्सी सर्विसेज़ भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी है । इसके बाद इंफ़ोसिस का नंबर लगता है । हजारों लाखों लोग इन कंपनी मे काम करते है । भारत के अर्थव्यवस्था मे इन कम्पनियों के बदौलत बाट सारा राजस्व हर साल जमा होता रहता है ।
भारत के सॉफ्टवेयर पार्क
भारत मे कई सॉफ्टवेयर पार्क या हब विकसित हो चुके है । सॉफ्टवेयर पार्क अथवा आईटी हब (IT hub) एक विकसित व्यावसायिक क्षेत्र या ज़ोन होता है जिसमे मुख्यता सॉफ्टवेयर कंपनियां काम करती है । निम्न लिखित फेहरिस्त मे कुछ भारत के सॉफ्टवेयर पार्क्स की जानकारी दी हुई है ,
- टेक्नोपार्क – तिरुवनंतपुरम
- मगरपट्टा सैटेलाइट टाउनशिप, पुणे
- इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी, बेंगलुरु
- हाईटेक सिटी, हैदराबाद
- मिलेनियम सिटी आईटी पार्क, कोलकाता
- सिपकोट आईटी पार्क, चेन्नई
- इन्फोटेक पार्क, मुंबई
- डीएलएफ आईटी पार्क, नोएडा
इन आईटी पार्क्स मे कई अन्तराष्ट्रिय दर्जे की सॉफ्टवेयर कंपनियां काम करती है । और उनसे संबंधित सारी सेवाये जैसे फास्ट इंटरनेट, गैजेट्स, यहाँ पर आसानी से उपलब्ध होती है ।